महाशक्ति भारत - ए. पी. जे. अब्दुल कलाम, वाई. एस. राजन
इसमें अनेक महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भारत की वर्तमान स्थिति का आकलन करते हुए एक नए लक्ष्य निर्धारित करके उसे प्राप्त करने के उपायों का विश्लेषण करने के साथ ही देश के समग्र विकास में व्यक्तित्व और संस्थागत स्तर पर देशवासियों द्वारा निभाई जा सकने वाली भूमिका को पुस्तक में रेखांकित किया गया है।
भारत की वर्तमान स्थिति पर दृष्टि डालें तो हम यह अनुभव कर सकते हैं कि हाल के भारतीय इतिहास में आज की यह आत्मनिर्भरता एवं आर्थिक विकास कल्पना से अधिक कुछ नहीं था। उत्तरोत्तर आर्थिक विकास, विकसित होने के अवसर एवं क्षेत्र, निरंतरता बढ़ता विदेशी मुद्रा भंडार और तकनीकी कुशलता के क्षेत्र में विश्वस्तरीय मान्यता के बल पर आज भारत विश्व में अपनी अलग पहचान बना चुका है। आज हम अपनी 54 करोड़ युवा शक्ति के साथ विश्व के विभिन्न देशों में रह रहे भारतीय मूल के 20 करोड़ लोगों से जुड़े हुए हैं। इसके अतिरिक्त विश्व के कई विकसित देशों द्वारा भारत में अनुसंधान एवं विकास केंद्रों की स्थापना सहित देश के अभियंताओं, वैज्ञानिकों और अन्य प्रतिभाओं पर प्रस्तावित निवेश के अवसर उपलब्ध हैं। सरकार देश के किसानों और कामगारों के कल्याण को बढ़ावा देने और उद्यमियों, व्यापारियों, वैज्ञानिकों, अभियंताओं एवं समाज के अन्य उत्पादकों की वृद्धि करने के साथ-साथ 7-8 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में, जब भारत की युवा शक्ति के समक्ष विकास के विभिन्न महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों—कृषि, उद्योग, सूचना तथा संचार तकनीक में कार्य करने के विशाल अवसर उपलब्ध हैं—हमारी इस पुस्तक की महत्ता अपेक्षाकृत बढ़ जाती है।
मुझे हजारों लोगों के पत्र और इ-मेल प्राप्त हुए हैं, जिनमें लिखा गया है कि पुस्तक के माध्यम से उन्हें एक लक्ष्य निर्धारित करने और उस पर साहसपूर्वक कार्य करने की प्रेरणा मिली है। जीवन के सभी क्षेत्रों से जुड़े लोग उसे संदर्भ स्रोत के रूप में प्रयोग में ला रहे हैं। विभिन्न व्यापारिक संस्थानों में भी इससे लघु एवं वृहद् स्तर के उद्योग स्थापित करने की प्रेरणा ग्रहण की है। यह पुस्तक आज कुछ विद्यालयों और विश्वविद्यालयों के पाठ्क्रम का हिस्सा बन गई है। अन्य लेखकों एवं संपादकों ने अपनी पुस्तकों में इसके विभिन्न महत्त्वपूर्ण तथ्यों को उद्धृत किया है।
यह पुस्तक ‘महाशक्ति भारत’ प्रमुख रूप से देश के नवयुवकों के लिए मार्ग दर्शक के रूप में तैयार की गई है। नए उद्यमियों के लिए भी यह समान रूप से उपयोगी है।
पुस्तक का आरंभ अत्यंत महत्त्वपूर्ण एवं मार्मिक प्रश्न से हुआ है—क्या भारत एक विकसित देश बन सकता है ? इसके अंतर्गत हमारी शक्तियों और मूलभूत कमजोरियों का विश्लेषण किया गया है और साथ ही प्रत्येक देशवासी से यह आशा व्यक्त की गई है कि वह भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य के प्रति सामूहिक रूप से समर्पित रहे।
अगले पाँच अध्यायों में उन पाँच आधारभूत अद्योगों के बारे में चर्चा की गई है, जिनमें इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अगले डेढ़ दशकों तक पर्याप्त आत्मविश्वास हासिल करने की आवश्यकता है। ये पाँच आधारभूत उद्योग हैं—कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण, भौतिक वस्तुएँ एवं भविष्य, रसायन उद्योग एवं जैव-तकनीकी, भविष्य के लिए निर्माण तथा आयुध सामग्री उद्योग। इन उद्योगों के के विकास के लिए पर्याप्त संभावनाएँ विद्यमान हैं। प्रत्येक अध्याय में यह सुझाव प्रस्तुत किया गया है कि संबंधित उद्योग क्षेत्र के लिए एक लक्ष्य निर्धारित करके उस पर किस प्रकार कार्य किया जाए।
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